इलाहाबाद । डाक्टर फात्मा ने अपने अपने कैरियर की शुरूआत आर्मी स्कूल न्यूकैन्ट से की । बतौर प्रवक्ता वर्तमान समय में गाजियाबाद मे हैं ।अगर किसी विश्वविद्यालय के अध्यापक को कोई विदेशी विश्वविद्यालय से कॉन्फ्रेंस में गेस्ट के तौर पर शामिल होने का अवसर मिले, तो कोई अचंभित होने की बात नहीं है, लेकिन यदि किसी इंटर कॉलेज के लेक्चरर को किसी विदेशी विश्वविद्यालय से कांफ्रेंस में शामिल होने का न्योता मिले तो वाकई काबिले तारीफ है। जी हां,अभी हाल में तुर्की के बिटलिस यूनिवर्सिटी की कॉन्फ्रेंस में भारत का प्रतिनिधित्व करके लौटी एक इंटर कॉलेज की लेक्चरर इस असाधारण सम्मान से काफी प्रफुल्लित है। तुर्की की बिटलिस एरेन यूनिवर्सिटी में तीन दिवसीय कॉन्फ्रेंस में इस प्रवक्ता के बेबाक लेक्चर की न सिर्फ सराहना की गई, बल्कि उनके द्वारा किये गए शोध कार्य को भी सराहा गया।
उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद स्थित एम बी गर्ल्स इंटर कॉलेज में डॉ इशरत फात्मा मौजूदा वक्त में बतौर लेक्चरर (अंग्रेजी) तैनात है। अंग्रेजी विषय में पीएचडी करने के बाद भारत के विभिन्न शहरों में आयोजित सेमिनार व कॉन्फ्रेंस में हिस्सा लेती रही हैं। कोरोनाकाल से भारत में ऑनलाइन शिक्षा का दौर शुरू हुआ। इस ऑनलाइन एजुकेशन की वजह से सेमिनार व कॉन्फ्रेंस में भाग लेना डॉ इशरत फात्मा के लिए आसान कर दिया। इसी ऑनलाइन एजुकेशन की वजह से डॉ इशरत फात्मा अंग्रेजी शोधार्थियों और प्रोफेसर्स के अंतरराष्ट्रीय ग्रुप से जुड़ गई। तमाम ऑनलाइन सेमिनार और कॉन्फ्रेंस अटेंड करने की वजह से डॉ फात्मा की अंग्रेजी वॉकपटुता काफी धारदार हो गई। जिसकी वजह से विदेशी मंच पर चर्चित होने लगी। डॉ फात्मा की प्रतिभा का सम्मान करते हुए तुर्की के बिटलिस स्थित एरेन यूनिवर्सिटी ने बीते दिनों कॉन्फ्रेंस में हिस्सा लेने के लिए डॉ फात्मा को इनविटेशन लेटर भेजा। जिसको डॉ फात्मा ने सहर्षभाव से स्वीकार करते हुए यूनिवर्सिटी की कॉन्फ्रेंस में शामिल हुई। तुर्की की बहुप्रतिष्ठितसामाजिक संस्था एक्सैड और बिटलिस यूनिवर्सिटी ने यूनिवर्सिटी कैंपस में बीते 18 अक्टूबर से 20 अक्टूबर तक इंटरनेशनल कांग्रेस ऑन कल्चर, टूरिज्म एंड सिविलाइजेशन पर अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया था। कार्यक्रम का उद्घाटन बिटलिस के गवर्नर ने किया। इस कांफ्रेंस में जॉर्जिया, पाकिस्तान,पोलैंड,ऑस्ट्रिया, भारत समेत कई देशों के शिक्षाविदों ने हिस्सा लिया। डॉ इशरत फात्मा ने भारत का प्रतिनिधित्व किया। डॉ फात्मा ने टूरिज्म को इंटरनेट कल्चर से जोड़ते हुए अपना बेवाक लेक्चर दिया तो शिक्षाविदों ने इसकी खूब सराहना की। डॉ फात्मा ने अपने शोध कार्यों को भी पेश किया और जता दिया कि भारत यूं ही विश्व पटल पर उभरती ताकत नहीं बना है। फिलहाल,डॉ फात्मा भारत लौट आई हैं और अपनी इस उपलब्धि पर काफी खुश हैं। उन्होंने उक्त बातों का खुलासा एक बातचीत में किया।
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